Chapter - 3
Third Thoughts E. V. Lucas
Q. I.
Who tells the story to the author?
लेखक को कहानी कौन
सुनाता है?
Ans. The author's friend tells this story to the author.
लेखक का एक मित्र यह कहानी लेखक को बताता है।
Q. 2.
When does the narrator give away his artistic articles?
वर्णनकर्ता अपनी कलापूर्ण वस्तुओं को कब देता है?
Ans. The narrator gives away his
artistic articles when he is tired of a picture or a decorative article He does
so only to make its acceptance by another a personal favour
वर्णनकर्ता अपनी कलापूर्ण वस्तुएं तब देता है जब वह एक तस्वीर या एक सजावटी वस्तु से ऊब जाता है। वह ऐसा इसलिए करता है ताकि दूसरे द्वारा इसकी स्वीकृति उसके लिए एक व्यक्तिगत अहसान होगा।
0. 3.
Did the narrator go to the market with the intention of buying the painting?
How did he happen to buy it?
क्या वर्णन की पेंटिंग खरीदने के इरादे के साथ बाजार जाता था? वह इसे कैसे खरीद पाया?
Ans. No, the narrator did not go to
the market with the intention of buying the painting. On seeing the painting, the narrator
thought it to be a possible Turner and the dealer sold it on the cheapest rate. Thus
he happened to buy it.
नहीं, वर्णनकर्ता पेंटिंग खरीदने के इरादे से
बाजार नहीं जाता था। पेंटिंग को देखने पर वर्णनकर्ता ने इसे एक
सम्भावित टर्नर समझा और डीलर ने इसे
अत्यधिक सस्ते में बेच दिया।
इस प्रकार वह इसे खरीद
पाया।
Q. 4.
What price did the narrator get from the buyer for the drawing?
वर्णनकर्ता
उस ड्राइंग के
खरीददार से क्या
कीमत प्राप्त की?
Ans. The narrator got fifty pounds from the buyer for the drawing. He bought it for ten shillings. He
got a good profit from it
उस ड्राइंग के क्रेता
से वर्णनकर्ता ने
50 पाठण्ड की कीमत
प्राप्त की। उसने
इसे 10 शिलिंग में खरीदा था। उसे
इससे अच्छा लाभ
मिला।
Q. 5.
Why did the dealer sell the drawings so cheaply to the narrator?
डीलर (दुकानदार) ने उस ड्राइंग
को वर्णनकर्ता को इतने सस्ते
में क्यों बेचा?
Ans. The dealer sold the drawing so
cheaply to the narrator because according to him it was not a genuine Turner. He
would enquire of it the next week when he would go to London.
डीलर (दुकानदार) ने उस ड्राइंग
को वर्णनकर्ता को इतने ससते
में इसलिए बेच दिया क्योंकि
यह उसके अनुसार वास्तविक टनर नहीं थी।
वह इसके बारे में
अगले माह पता करता।
Q. 6.
Why did the narrator feel so delighted and proud after selling the painting?
पेन्टिंग
को बेचने के बाद वर्णनकता
ने इतना प्रसन्न व
गबित क्यों महसूस किया?
Ans. After selling the painting,
the narrator felt so delighted and proud because he got a very good profit which he never had earlier.
पेन्टिंग बेचने के बाद
वर्णनकर्ता ने प्रसन्न
व गर्वित महसूस
किया क्योंकि उसने
एक अच्छा लाभ
कमाया जो उसे पहले कभी नहीं हुआ था ।
Q. 7.
Why does the narrator think that the dealer should get a part of the profit he
had earned?
वर्णनकर्ता
यह क्यों सोचता है कि डीलर
को भी उसके द्वारा
अजिंत लाभ का एक
भाग मिलना चाहिए?
Ans. The narrator thinks that the
dealer should get a part of the profit he had earned because he behaved very
well to him. Therefore, the narrator should also behave very well to him. It would be only fair to give him half.
वर्णनकर्ता
यह सोचता है कि डीलर
को भी उसके द्वारा
अर्जित लाभ का एक
भाग मिलना चाहिए क्योंकि उसने उसके साथ
अच्छा व्यवहार किया था इसलिए वर्णनकर्ता
को भी उसके साथ अच्छा
व्यवहार करना चाहिए।
उसे आधा देना सही
होगाI
Q. 8. In
his mood of elation what did the narrator write in the first note to the
dealer?
अपने खुशी के मूड
में वर्णनकर्ता ने अपने प्रथम
नोट में डीलर को
क्या लिखा?
Ans. In his mood of elation the
narrator wrote in the first note to the dealer that the potential Turner
drawing turned out to be authentic and he had great pleasure in enclosing half of the proceeds as it was the only just and decent course.
अपने खुशी के मूड
में वर्णनकर्ता ने अपने प्रथम
नोट में डीलर को
लिखा कि वह सम्भावित
टर्नर ड्राइंग, वास्तविक साबित हुई। उसे लाभांश का आधा
संलग्न करने में काफी ख़ुशी हो रही है । क्योंकि यही एक सही एवं न्यायोचित मार्ग हैI
Q 9.
Which habit of the story teller leads him to examine and re-examine his idea of
sending a part of the profit to the dealer?
वर्णनकर्ता
की कौनसी आदत उसे डीलर
को लाभ का एक
भाग भेजने के विचार पर
परीक्षण व पुनर्परीक्षण करवाती है?
Ans. His greed and the habit of reconsideration leads the story
teller to examine and reexamine his idea of sending a part of the
profit to his dealer.
वर्णनकर्ता के लालच और पुनर्विचार करने
की आदत उसे लाभ का एक हिस्सा
डीलर को प्रेषित करने के लिए निरीक्षण और पुनर्निरीक्षण करने को प्रेरित करती हैI
Q. 10.
What did the narrator do when sleep did not come to him?
वर्णनकर्ता
ने क्या किया जब
उसे नींद नहीं आई?
Ans. When sleep did not come to the
narrator, he took a book of short stories and read one. Then he closed his eyes and began to think about the dealer.
जब वर्णनकर्ता को नींद नहीं
आई तो उसने लघु
कथाओं की एक किताब ली और एक कहानी पढ़ लीI फिर वह अपनी आँख बंद कर डीलर के बारे में
सोचने लगा ।
Q. 11.
Why does the narrator term the bargaining as a straight forward matter between
dealer and customer?
वर्णनकर्ता
सौदेबाजी को एक डीलर
व खरीददार के बीच का
एक सीधा मामला क्यों
कहता है?
Ans. The narrator terms the bargaining as
a straight forward matter between dealer and customer because this thinking may
save him from the pangs of conscience He
bargains
with his own soul
वर्णनकर्ता
सौदेबाजी को एक डीलर
व खरीददार के बीच का
एक सीधा मामला कहता
है क्योंकि यह विचारशीलता उसे अन्तरात्मा की
चुभन से बचा सकती
है। वह स्वयं की
आत्मा से सौदेबाजी करता
है।
C.
Answer to the following questions should not exceed 60-80 words each
Q. 1.
Justify the title Third Thoughts
शीर्षक
'Third Thoughts' के औचित्य को सिद्ध करें।
Ans. Third Thoughts' is a new idiom
coined by the author It is based on the common and well-known idiom-second
thoughts which means one more consideration given to an issue. The
writer goes on considering and changing his ideas directed by the selfish
motives. These thoughts replace the lofty and generous ideas by selfish
thoughts and worldly wisdom. It shows that man is basically selfish and materialistic and for the sake of money he can consider, reconsider and even change his noble and ideal thoughts in his everyday social behaviour. Thus it can be said that the title is quite appropriate.
Third
Thoughts लेखक द्वारा बनाया गया एक नया मुहावरा है। यह प्रचलित महावरे 'Second Thoughts' से बनाया गया है सेकंड घाट का अर्थ है किसी विषय पर ठंडे दिमाग से पुनर्विचार करना । लेखक अपने स्वार्थपूर्ण
इरादे से प्रेरित होकर
अपने विचारों पर बार-बार
पुनर्विचार करता रहता है
तथा उन्हें बदलता रहता है। लगातार
किये जाने वाले विचार
दांत एवं उदार विचारों
को स्वार्थपूर्ण विचारों में बदल देते हैं। इन्हें Third Thoughts के नाम
से जानते हैं। यह निबन्ध
के लिए उपयुक्त शीर्षक
है।
Q. 2.
Mention the reasons given by the narrator for changing his resolution with each
reconsideration.
अपने प्रत्येक पुनर्विचार से अपने संकल्प
को बदलने के लिए वर्णनकर्ता
द्वारा दिये गये कारणों
का उल्लेख करें।
Ans. At first the narrator thought to
give half of the profit. He reviewed this decision at 3.30 a m He argued that it was he who detected the Tumer. The dealer failed though it was his routine task so ten pounds
would be sufficient. He further argued that if he did so it would give him a wrong idea of his customers and none of them would be as fair and sporting as he himself so five would be plenty. Next morning he further argued that the goddess of
business brought the profit to him so he should not spoil it by giving a large part of the profit away. It would like flying in the face of the goddess of business. She might never come to him again. A business man should never be impulsive. One
pound would be sufficient. But that afternoon he played Bridge so badly that was glad that he did not send even the one pound to the dealer.
आरम्भ में वर्णनकर्ता ने
आधा लाभ भेजने की
सोची। उसने इस निर्णय
पर सुबह 330 पर पुनर्विचार किया।
उसने तर्क दिया कि
यह मेरी आँखें थीं
जिसने टर्नर को पहचाना। डीलर
फेल हो चुका था।
दस पाउण्ड पर्याप्त होगा। उसने आगे तर्क
दिया कि वह दूसरों
से भी यही आशा
करेगा। पांच ही पर्याप्त
होगा। अगली प्रात: उसने फिर तर्क
दिया कि व्यापार की
देवी मेरे लिए लाभ
लाई थी। एक व्यापारी
को कभी भी भावक
नहीं होना चाहिए। एक
पाठण्ड पर्याप्त होगा। उस अपराह वह
इसे भेजना भूल गया।
Q. 3.
the point of narrative resides not in bargaining with the collectors, but in
bargaining with my own soul. How far does the statement embody the true spirit
of Third Thoughts'?
वृत्तान्त
का बिन्दु संग्रहकर्ताओं के साथ सौदेबाजी
में निवासित नहीं है बल्कि
स्वयं की आत्मा से सौदेबाजी करने में है।'
यह कथन कैसे Third Thoughts' का केन्द्रीय
बिन्दु है?
Ans. The author's friend wants to
show how selfishness and narrow-mindedness spoil our mind and soul First, the
narrator thinks that the dealer is an honest, fair man and
he should
get half the profit Then he comes to ten pounds. Then he thinks of giving away
even five pounds will make the goddess of wealth angry One pound will be
enough. At the end, he sends no money and thus, bargains with his own soul. The
statement embodies the true spirit.
लेखक का मित्र यह
बताना चाहता है कि स्वार्थ
और संकीर्णता किस प्रकार हमारे
मन और आत्मा को बिगाड़ देते हैं। पहले
तो वर्णनकर्ता सोचता है कि वह
विक्रेता सज्जन और ईमानदार आदमी
था और उसे आधा लाभ मिलना ही
चाहिए। फिर वह दस
पाठण्ड पर आ जाता
है। बाद में वह
सोचता है कि पाँच
पाउण्ड दे देने से
भी धन की देवी उससे नाराज हो
आएगी। एक पाउण्ड ही
पर्याप्त रहेगा। अन्त में, वह
कोई राशि नहीं भेजता
है और इस प्रकार
अपनी आत्मा से सौदेबाजी करता
है। कथन में सच्ची
आत्मा है।
Q. 4.
Why are city magnates successful according to the narrator?
वर्णनकर्ता
के अनुसार शहर के धन्ना
सेठ सफल कैसे हैं?
Ans. According to the narrator the city
magnates are successful because they have deep insight into the business
psychology and philosophy of the World of Trade and Commerce where impulse is
negation of Magnetism and buying and selling are a perfectly straight forward
matter between dealer and customer The dealer extorts as much as possible After
payment the customer is under no obligation
वर्णनकर्ता
के अनुसार शहर के धन्नासेठ
सफल हैं क्योंकि व्यापार
मनोविज्ञान तथा विश्व व्यापार
व वाणिज्य की उन्हें गहन
समझ है जहाँ भावनात्मक
होने का अर्थ स्वयं
को धन्नासेठ बनने से वंचित
करना है तथा खरीद व
बेच करना पूर्णतः विक्रेता
व क्रेता के बीच का
सीधा सम्बन्ध है। डीलर इतना
वसूलता है जितना सम्भव
हो सकता है। भुगतान
के बाद ग्राहक पर
कोई अहसान नहीं है।
Q. 5.
How did the intended note to the dealer read and did it ever reach him?
डीलर को लिखे गये
नोट (पत्र) में किस प्रकार
से लिखा हुआ था
तथा क्या वह कभी
उसके पास पहुँचा?
Ans. The intended note to the dealer read
that the potential Turner drawing was authentic so he was sending half of the
proceeds Then he thought of sending ten pounds
and then
five pounds and then one pound because of various reasons The note never
reached the dealer because the narrator forgot to post it. He bargained with
his own soul repeatedly
डीलर को लिखे गये
पत्र में यह लिखा
था कि सम्भावित टर्नर
डाइंग वास्तविक थी इसलिए वह
आधा लाभ भेज रहा
है। फिर उसने 10 पाउण्ड,
फिर 5 पाउण्ड तथा फिर एक
पाउण्ड भेजने की अनेक कारणों
से सोची। वह पत्र डीलर
के पास कभी नहीं
पहुंचा क्योंकि वर्णनकर्ता उसे डाक में
डालना भल गया। उसने बारंबार अपनी आत्मा से
सौदेबाजी की।
Q. 6.
here is no fury like a woman scorned. Who is the 'woman referred to here and
why does the narrator fear her fury?
"एक अपमानित औरत के बराबर कौन क्रोध कर सकता है।' यहाँ 'औरत/महिला' से किसका उल्लेख किया गया है
और वर्णनकर्ता उसके क्रोध से
क्यों डरता है?
Ans. The woman referred to here is the
Goddess of Business. The narrator fears her fury because earlier he did not
earn any profit. Now first time he earns profit. If he shares this profit with
the dealer, the Goddess of Business will be in fury. His business will come to
an end if the Goddess of Business is angry with him.
जिस महिला का यहाँ उल्लेख
किया गया है वह
व्यापार की देवी है।
वर्णनकर्ता उसके क्रोध से
डरता है क्योंकि पहले
वह कोई लाभ नहीं
कमाता था। अब पहली
बार उसने लाभ कमाया
है। यदि वह इस
लाभ को डीलर के
साथ बाँटता है तो व्यापार
की देवी क्रोधित हो
जायेगी। यदि व्यापार की
देवी उससे नाराज है
तो उसका व्यापार समाप्त
हो जायेगा।
ADDITIONAL
QUESTIONS
I.
Short Answer Type Questions:
Q. 1.
How much profit did the narrator achieve by selling the drawing? (Sr. Sec.
Exam., 2019)
ड्राइंग
को बेचकर वर्णनकर्ता को कितना लाभ
प्राप्त हुआ था?
Ans. By selling the drawing the narrator achieved
the profit of forty nine and a half pounds The dealer sold it just for ten
shillings The purchaser bought it from the narrator at fifty pounds The drawing
was an authentic Tumer while the dealer was unsure about it
ड्राइंग
को बेचकर वर्णनकर्ता ने उनचास पाउण्ड
व दस शिलिंग का
लाभ कमाया। डीलर ने इसे
केवल 10 शिलिंग में बेचा था। क्रेता का वर्णन से इसे 50 पाठण्ड में खरीदा था यह ड्राइंग प्रमाणिक टर्नर थी जबकि डीलर इस
बारे में अनभिज्ञ था।
Q. 2.
Why does the narrator feel that he has to give away finally his artistic
possessions?
वर्णनकर्ता
ऐसा क्यों महसूस करता है कि
उसे अपनी कलाकृतियाँ किसी
को दे देनी हैं?
Ans. Whenever the narrator feels that he
is tired of the artistic or decorative piece he has to give it away to somebody
to get rid of it It becomes a personal favour
जब कभी भी वर्णनकर्ता
यह महसूस करता है कि
वह किसी कलात्मक अथवा
सजावटी वस्तु से थक चका है तब वह
उस वस्तु से छुटकारा पाने
के लिए उसे किसी
को दे देता है।
यह एक व्यक्तिगत उपकार
बन जाता है।
Q. 3.
What was the opinion of the dealer about the drawing?
विक्रेता
की उस चित्र के
बारे में क्या मान्यता
थी?
Ans. The dealer did not believe
that it was the drawing of the great artist Tumer. He was unsure about it That
is why he sold it just for ten shillings
विक्रेता
यह नहीं मानता था
कि वह महान् चित्रकार
टर्नर की बनाई हुई
तस्वीर थी। वह इस
बारे में संदेह में था। इसीलिए
उसने वह चित्र मात्र
दस शिलिंग में बेच दिया।
Q. 4.
Why did the dealer sell the drawings so cheaply to the narrator? (Board
Model Paper, 2017-18)
विक्रेता
ने वर्णनकर्ता को तस्वीर इतनी
सस्ती क्यों वेच दी?
Ans. The dealer sold the drawing so
cheaply to the narrator because to him it was not a genuine Tumer He would
enquire the next week
विक्रेता
ने वर्णनकर्ता को तस्वीर इतनी
सस्ती इसलिये बेच दी क्योंकि
उसके लिये यह तस्वीर
वास्तविक टर्नर की नहीं थी।
वह अगले सप्ताह पता
करता।
Q 5.
What price did the narrator pay for the drawing to the dealer? How much profit
did he gain by selling it?
वर्णनकर्ता
ने विक्रेता को उस चित्र
की क्या कीमत चुकाई?
इसे बेचने पर उसे क्या
लाभ मिला?
Ans. The narrator paid ten
shillings to the dealer for the drawing He came a profit of forty nine and a
half pounds by selling it It was an authentic Tumer
वर्णनकर्ता
ने विक्रेता को उस चित्र
के लिए दस शिलिंग
(आधा पाउण्ड) चुकाया इसको बेचने पर वर्णनकर्ता को साढ़े उनचास
पाउण्ड का लाभ मिला।
यह एक प्रामाणिक टर्नर
थी।
Q. 6.
Why did the narrator think of sending some amount of the profit to the
dealer?
वर्णनकर्ता
ने इस लाभ में
से कुछ रकम विक्रेता
को क्यों भेजना चाहा?
Ans. The narrator thought that the
dealer was a plain, simple and honest man He behaved well with the narrator It
will be fair to share good fortune with some others.
वर्णनकर्ता
ने सोचा कि विक्रेता
एक सीधा-सादा सच्चा
आदमी था। उसने वर्णनकर्ता
से अच्छा व्यवहार किया था। यह
न्यायोचित ही था कि
कुछ लाभ कुछ अन्य
से भी बांटा आए।
Q7. What
did he write in his first note to the dealer?
उसने अपने पहले पत्र
में विक्रेता को क्या लिखा?
Ans. The narrator wrote in the
first letter that the possible Turner drawing had really turned out to be
genuine or authentic As a just step he was sending him half the
amount he
received
वर्णनकर्ता
ने अपने पहले पत्र
में लिखा कि वह
सम्भावित ट्नर का चित्र
सचमुच में ही असली
टर्नर का सिद्ध हो गया है।
एक न्यायोचित कदम के रूप
में वह आधी रकम
पत्र के साथ भेज
रहा है।
Q. 8.
When does he become the 'enviable thing' a successful dealer?
वह सब में ईर्ष्या
पैदा करने वाला सफल
व्यापारी कब बन जाता
है?
Ans. Once while wandering among
curiosity shop he succeeds in buying a drawing of Turner just for ten shillings i.e. in half a pound. He sells it for fifty pounds and thus earns profit.
एक बार दुलंभ कलाकृतियों
की दुकानों पर यमला हुए
वह महान कलाकार टनर
द्वारा बनाया एक चित्र सिर्फ
दस शिलिंग अर्थात् आथै पाठण्ड में
खरीद लेता है और
इसको वह पचास पाठण्ड
में बेच देता है
व लाभ कमाता है।
Q. 9.
What was the reply of the dealer when the narrator wanted to know the price of
the drawing?
जब वर्णनकर्ता ने उस ड्राइंग
(चित्र) की कीमत जाननी
चाही तो विक्रेता ने
क्या जवाब दिया?
Ans. The dealer said that if the
drawing had been really made by Turner there could have been any price but he
could sell it for ten shillings only He would carry it to London to have an opinion.
व्यापारी
ने जवाब दिया कि
अगर यह चित्र सचमुच
टर्नर द्वारा बनाया गया होता तो
उसकी कितनी भी कीमत मांगी जा
सकती थी लेकिन वह
उसे सिर्फ दस शिलिंग में
बेच सकता है। वह
इसे लंदन ले जायेगा।
Q. 10.
Pick out and write the sentence which tells that the number of the errors the
author's friend committed in life was not one.
वह वाक्य लिखिये जिसमें कहा गया है
कि लेखक के मित्र
मे अपने जीवन में
सिर्फ एक ही गलती नहीं की थी।
Ans. The sentence is, "At about
3.30 am I woke widely up and, according to custom, began to review my life's
errors which are in no danger of ever suffering from loneliness
वह वाक्य है, "करीब 3.30 बजे प्रात: मेरी
नींद खुल गई और
आदत के अनुसार मैंने
अपनी गल्तियों पर विचार करना
शुरू किया, ये गलतियाँ इतनी
अधिक थीं कि इन्हें
कभी अकेलेपन का दुःख महसूस
नहीं होता होगा।"
Q. 11.
Why did he not post the letter after having written the first note?
पहली बार पत्र लिखने
के बाद उसने लिफाफा
डाक में क्यों नहीं
डाला?
Ans. It was late evening when he
wrote the first letter He did not have postage stamps and time was late He went
to bed and could not post the letter
जब उसने विक्रेता को
पहला पत्र लिखा था
तब रात हो चुकी
थी। उसके पास उस
समय डाक के टिकट
नहीं थे और देरी
हो चुकी थी। वह
पत्र को डाक में
नहीं डाल सका और
सो गया।
Q. 12.
What did the narrator write in the brief note which he was to send with a gift
of one pound to the dealer?
एक पाउण्ड की भेंट के
साथ विक्रेता को भेजे गये
पत्र में वर्णनकर्ता ने
क्या लिखा?
Ans. The narrator wrote in the
letter that he had earned some profit from the drawing and according to his
belief he wanted to give him a present. Good luck should be shared
वर्णनकर्ता
ने पत्र में व्यापारी
को लिखा कि मैंने
इस चित्र से कुछ लाभ
कमाया है और मेरी
मान्यताओं के अनुसार में
उसमें से एक पाउण्ड
आपको भेंट के रूप
में भेज रहा है।
सौभाग्य बाँटना चाहिए।
II.
Long Answer Type Questions (in about 125 words each)
Q.1.
Give the character-sketch of the narrator in the essay Third Thoughts'.
निबंध
Third Thoughts' में वर्णनकर्ता का चरित्र-चित्रण
करें।
Ans. The narrator in Third
Thoughts' is the friend of the author, E V Lucas. Initially he was an
unsuccessful dealer. He bought in the dearest markets and sold in the cheapest
The Goddess
of Business was angry with him. Once he bought a possible Tuner drawing. It gave
him a profit of forty nine and a half pounds The Goddess of Business smiled
first time on him He became a successful dealer He wanted to share his good
luck. He thought to give half of the profit to the dealer but later on examined
and re-examined it and decided to send first ten, then five and then one pound.
In the end, he sends nothing. He bargains with his own soul. Thus, he is selfish, greedy and over-ambitious
*Third
Thoughts" का वर्णनकर्ता, निबन्ध के लेखक EV. Lucas का मित्र है। आरम्भ में असफल व्यापारी था।
वह महंगे बाजार में खरीदता व
सस्ते में बेच पाता
था। व्यापार की देवी उस
पर नाराज थी। एक बार
उसने सम्भावित टर्नर ड्राइंग खरीदी। इसने उसे साढ़े
उन्वास पाउण्ड का लाभ दिया।
व्यापार की देवी पहली बार
उस पर मुस्कराई। वह
एक सफल व्यापारी बन
गया। वह अपना सौभाग्य
बाँटना चाहता था। वह आधा लाभ
उस डीलर को देना
चाहता था लेकिन बाद
में उसने अपने निर्णय
का परीक्षण व पुनर्परीक्षण किया और
पहले 10, बाद में 5 तथा
अन्त में एक पाउण्ड
भेजने का निर्णय किया।
अन्त में वह कुछ
भी नहीं भेजता है। वह अपनी
आत्मा से सौदेबाजी करता
है। इस प्रकार वह
स्वार्थी च अत्यधिक आकांक्षी
है।
Q2. List
the messages, E.V. Lucas, wishes to convey in Third Thoughts.
उन सन्देशों को सूचीबद्ध करें
जो EV Lucas, Third
Thoughts से देना चाहते हैं।
Ans. E.V Lucas in Third Thoughts
wishes to convey a number of thoughts. The first and foremost is this that we
should not bargain with our own soul. The narrator first
wants to
give half of the profit but in the end he doesn't send a single pound The
second is this that we should share our good luck with others. The narrator
wants to do so. The third is this that unsuccessful person can become a
successful person one day The narrator becomes so by a Turner drawing. The fourth
is, that a person should not be impulsive in business. The narrator says
that impulse is the negation of magnetism The fifth is, that a person
should implement the first thought which is generally of pious nature
EV
Lucas, Third Thoughts में अनेक सन्देश देना चाहते हैं। प्रथम एवं महत्त्वपूर्ण यह है कि हमें अपनी आत्मा से
ही सौदेबाजी नहीं करनी चाहिए।
वर्णनकर्ता आरम्भ में आधा लाभ
देना चाहता था किन्तु अन्त में एक पाउण्ड
भी नहीं भेजता है।
दूसरा यह है कि
हमें अपने सौभाग्य को
बाँटना चाहिए। वर्णनकता ऐसा करना चाहता है।
तीसरा यह है कि
एक असफल व्यक्ति भी
एक दिन सफल व्यक्ति
बन सकता है। वर्णनकत्ता टर्नर ड्राइंग के कारण ऐसा
बनता है। चौथा यह
कि व्यापार में एक व्यक्ति
को भावुक नहीं होना चाहिए। वर्णनकर्ता कहता है कि
भगवान धन्ना सेठ बनने से
वंचित करती है। पाँचवाँ
यह है कि एक
व्यक्ति को प्रथम विचार
क्रियान्वित कर देना चाहिए।
यह अक्सर कल्याणकारी प्रकार का होता है।
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